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गुरुवार, 7 सितंबर 2017

घर

सोचा था मैं एक सुन्दर सा घर बनूंगी
जिसमे शांति सुकून और प्यार
सब साथ-साथ रहेंगे
लेकिन क्या पता था
वक़्त को कुछ ओर ही मंजूर है
ज़िन्दगी तिनके जड़ने में ही निकल जाएगी
वक़्त बातो बातो में ऐसे गुज़र जाएगा
शांति, सुकून और प्यार मेरे लिए सपना बन जाएगा
घर अपना तो न बना सके
पर मलाल इस बात का रहा
कि घर गैर का ही सही
ज़िन्दगी तो सुकून से बिता लेते
खुदा की इतनी इबादत भी
हमे कम से कम मिल जाती
शुक्रिया दिल से उनको करके
हम इस जहाँ से निकल लेते
खुदे ने हमे इस काबिल भी न समझा


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