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शनिवार, 8 जुलाई 2017

गुड़िया

मेरी गुड़िया की कहानी
है बड़ी ही निराली
जग झूमे गाए घूमने को जाए
पर मेरी दुनिया
गुड़िया के इर्द -गिर्द  ही कटती
सोने में गुड़िया
जागो तो हाथ  में गुड़िया
पूरी गुड़ियों की बारात है
 मेरे बिस्तरे पर उनकी ही सरकार है
जहाँ देखो गुड़िया
अपनी धुन में सजी बैठी है
गुड़िया से सजा घर
दीवालों पर गुड़िया की तस्वीर
रजाई और गलीचों में भी
उन्ही की आवो हवा है
गुड़िया मेरी जिन्दगी
और मैं गुड़िया की छोटी सी अम्मा
पर एक ही मुश्किल हैं
मैं तो बड़ी हो गई पर
 मेरी गुड़िया अभी भी छोटी ही है
मेरे कपड़े बदल गए पर उसके वही है
मैंने दुनिया को जिया पर
वो आज भी मेरे भरोशे पारी है
आज मैंने जाना कि
ये मेरी गुड़िया तो कपड़ो की बनी है
अलविदा मेरी नन्ही सहेली
अब मै बड़ी हो गई हूं
अब तुमसे खेलना अच्छा नहीं लगता
अब तो मेरे बहूत सारे दोस्त है
तुम्हे अपने यादों में रखूंगी
भूल जाऊ मै जग को
पर तुम्हे नहीं भूल पाऊँगी...

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