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शनिवार, 17 जून 2017

मेरी रचना

हैं सरल मधुर मेरी रचना
कहना-सुनना सब को लिखना
सरल शब्द भाषा अपना
हैं सरिता सा अपना सपना
कुछ कहू सुनु कुछ सीख सकूँ
जीवन पर्यंत लिखते रहना
कुछ रुदन-क्रंदन आंसू का बहना
कुछ क्रूड मज़ाक किया जग ने
हर ओर ख़ुशी की वर्षा हो
ऐसा प्रयास किया हर दम
सरल सुगम भाषा अपना
कह डाला मन हल्का करके
निःशब्द हुए सब लिख करके
शब्दों के बाण चलाने से
नहीं चूंके शब्द कभी मेरे
जीवन गौरव गाथा बन कर
इतिहास में शामिल होता हैं
हैं रंगमंच जीवन अपना
ढेरों रंगीन नजारों से
जीवन परिदृश्य भरा अपना
रिश्तों के मोल समझने को
कितने रिश्ते कुर्बान किए
अपनों की खातिर रोकर के
नैनों की नीर से शब्द गढ़े
मन के भावों को लिख करके
शब्दों का रूप दिया हमने
जीवन की कथा हमेशा ही
निर्भयता से ही लिखा हमने
शोर बहुत था बाहर पर
मन शांत हमेशा रखा हैं
अंदर अंगारे अपमानों के
पर मुस्कान थी चेहरे पे
हर बार जिसे अपना समझा
उसने ठोकर जोड़ो की दी
फिर कवि बना डाला मुझको
अब कलम से ही यारी कर ली
रिश्ते-नाते सब जोड़ लिया
लेखन को ही अर्पण कर दी
दिल की हर बात अहाते से
हैं सरल मधुर मेरी रचना

तुम्हें पढ़कर के कुछ हैं कहना!!

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